Ultimate fact about डेंगू बुखार: कारण, लक्षण, रोकथाम, रक्त परीक्षण, घरेलू उपचार और होम्योपैथिक उपचार

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डेंगू बुखार एक जीवाणु संक्रमण से होने वाला एक प्रकार का बुखार है, जिसमें प्रमुख लक्षण होते हैं – बुखार, ठंडी, और ज्यादातर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द।

कारण:

डेंगू बुखार का कारण एक जीवाणु संक्रमण होता है, जो डेंगू वायरस (Dengue Virus) नामक वायरस से होता है। यह वायरस एडीज मस्किटो के काटने से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और इंसान को डेंगू बुखार के लक्षणों का सामना करना पड़ता है।

एडीज मस्किटो डेंगू वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचा सकता है, जब वो संक्रमित व्यक्ति से रक्तसंपर्क करता है, जैसे कि एक मस्किटो जो पहले संक्रमित व्यक्ति के रक्त को चुस लेता है, और फिर एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में डेंगू वायरस को पहुंचा देता है।

इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. एडीज मस्किटो काटने से संक्रमण: डेंगू वायरस का प्रमुख प्रसार माध्यम एडीज मस्किटो होते हैं, जो संक्रमित व्यक्ति से खून पीने के बाद स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं।
  2. रक्त संचरण से: डेंगू वायरस को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में रक्त संपर्क के माध्यम से भी प्रसारित किया जा सकता है, जैसे कि रक्त द्वारा, डोनेशन के दौरान, या एक मांग दान के समय।
  3. मातृसूत्र से: मातृसूत्र में होने वाले संक्रमण के कारण भी नवजात शिशु डेंगू संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, जब गर्भवती महिलाएं संक्रमित होती हैं और उनके बच्चे भी संक्रमित हो सकते हैं।

यह वायरस ज्यादातर गर्मी के मौसम में प्रसारित होता है, और सड़कों पर पानी जमा होने के कारण मस्किटों के प्रवेश के अधिक संभावना होती है। इसलिए, डेंगू के संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता और मॉस्किटो काटने से संरक्षण के उपायों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है।

लक्षण:

डेंगू बुखार के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं और सामान्यत: डेंगू बुखार के लक्षणों का प्रारंभ आमतौर पर 4 से 10 दिन के बाद होता है। यहां डेंगू के लक्षणों की एक विस्तारित सूची है:

1. बुखार (Fever): डेंगू के प्रमुख लक्षणों में से एक है जो अचानक उत्तेजना, थकान, और बुखार के रूप में प्रकट हो सकता है। बुखार आमतौर पर तेजी से बढ़ता है और इसे “ब्रेकबैक फीवर” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह एक सप्ताह के बाद फिर से कम हो जाता है।

2. शिशुकालीन बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever – DHF): यह गंभीर डेंगू के प्रमुख लक्षण में से एक होता है और इसमें बुखार, असंतुलित हृदय दर की वृद्धि, चिकित्सा द्वारा स्विकृत चीरचीरा, थकान, और चिकित्सा द्वारा स्वीकृत रक्तनिकेत के लक्षण शामिल होते हैं।

3. सिरदर्द (Headache): यह एक और आम लक्षण है, जो डेंगू में पाया जा सकता है, और इसे आमतौर पर आँखों के पीछे की ओर ज्यादातर महसूस किया जाता है।

4. आँखों में लाली (Red Eyes): यह लक्षण डेंगू के मरीजों में आमतौर पर पाया जाता है, और इसके कारण आँखों की पुतलियों में लाली हो सकती है।

5. जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द (Joint and Muscle Pain): यह लक्षण डेंगू के अक्सर होते हैं और मरीजों को जोड़ों और मांसपेशियों में अच्छानक दर्द की अनुभव होती है।

6. नींद की कमी (Fatigue): डेंगू के मरीज अक्सर थकान और नींद की कमी की समस्या का सामना कर सकते हैं।

7. डिहाइड्रेशन के लक्षण (Signs of Dehydration): डेंगू में उल्कित बुखार और चिकित्सा द्वारा स्वीकृत डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) के कारण रक्तनिकेत से रक्तस्राव के कारण डिहाइड्रेशन के लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे कि सूखी त्वचा, भूख की कमी, और जिप्सी का बदलाव।

अगर आपको या किसी अन्य व्यक्ति को डेंगू बुखार के लक्षण मिलते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डेंगू बुखार से संबंधित समय पर चिकित

्सा लेना महत्वपूर्ण है, ताकि संक्रमण को सही तरीके से प्रबंधित किया जा सके।

रोकथाम:

डेंगू बुखार से बचाव के लिए निम्नलिखित कदम उचित हो सकते हैं:

  1. मच्छरों के काटने से बचें: डेंगू मच्छरों के काटने से होता है, इसलिए स्थानीय व्यक्तिगत स्वच्छता और मच्छरों से बचाव के उपायों का पालन करें, जैसे कि मॉस्किटो नेट्स और मॉस्किटो रिपेलेंट का उपयोग करें।
  2. जल संचयन बंद करें: डेंगू मच्छरों का बढ़ने का स्थान होते हैं जैसे कि खुले पानी की जगहों में पानी जमा होने की जगह। आपके आस-पास के जल संचयन स्थलों को ख़ाली करें और सफ़ाई बनाए रखें।
  3. रक्षात्मक कपड़े पहनें: सुनसान स्थलों में जाते समय आपके आरामदायक और रक्षात्मक कपड़े पहनें, ताकि मच्छरों का काटना न हो सके।
  4. समय पर डॉक्टर की सलाह लें: यदि आपको डेंगू के लक्षण जैसे कि बुखार, ज्यादा थकान, चक्कर आना, या बदला हुआ पेट होता है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

यदि आपके आसपास डेंगू बुखार के मामले बढ़ रहे हैं, तो स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करें और सावधानी बरतें।

रक्त परीक्षण:


डेंगू की पुष्टि के लिए रक्त परीक्षण किया जा सकता है, जैसे कि NS1 एंटीजन और डेंगू आंतिबॉडी परीक्षण।

प्रतिकिंविधियाँ:

  • एस्पिरिन या इबुप्रोफेन का उपयोग न करें
  • डेंगू बुखार के बाद 15 दिन तक डोनेशन न करें

घरेलू उपचार:

  • प्राकृतिक द्रव्यों से बने अपने शरीर को शुद्ध करें
  • पर्यापन में हीबिस्कस, गिलोय, और पपीता का सेवन करें
  • अच्छी खासी और पानी की पर्यापन करें

होम्योपैथिक उपचार:

होम्योपैथी में, डेंगू बुखार के प्रबंधन के लिए विचार करने वाले कई उपचार हो सकते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ध्यान दें कि होम्योपैथिक उपचार व्यक्तिगत लक्षणों और संवित्ति का व्यक्तिगत मूल्यांकन पर आधारित होते हैं। जो एक व्यक्ति के लिए कार्य करता है, वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकता है, और उपाय का चयन रोगी के विशेष लक्षणों और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य होम्योपैथिक उपचार जो डेंगू के इलाज के लिए सुझाए गए हैं इनमें शामिल होते हैं”

  1. Eupatorium Perfoliatum (यूपेटोरियम परफोलिएटम) :- यह उपचार अक्सर डेंगू के लिए सुझाया जाता है, जिसमें हड्डियों और जोड़ों में गंभीर दर्द होता है, जैसे कि हड्डियां टूट गई हों। इससे उच्च बुखार और अधिक प्यास के साथ भी मदद हो सकती है।.
  2. Rhus Toxicodendron:- इस उपयोग को विचार किया जा सकता है जब गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी, और स्थितियों को बदलने की निरंतर इच्छा हो।”
  3. Arsenicum Album: डेंगू के साथ अत्यधिक बेचैनी, चिंता, और कमजोरी के लिए इसे निर्धारित किया जा सकता है, साथ ही जलने वाले दर्द और पानी के सिप्स की इच्छा के साथ।
  4. Bryonia Alba: जब गंभीर सिरदर्द होता है, शरीर में गति के साथ और सूखा हुआ मुंह होता है, तो ब्रायोनिया को विचार किया जा सकता है।
  5. Gelsemium: यह उपाय डेंगू के साथ खांसी, चक्कर, और कांपते हुए, बर्फबर्फी और प्यास की कमी के साथ कार्यकारी हो सकता है।

“ध्यान रखें कि होम्योपैथिक उपचार को आपके लक्षणों की एक व्यापक मूल्यांकन के बाद एक प्रमाणित होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए। वे आपके विशेष मामले को ध्यान में रखेंगे और आपके लिए उपयुक्त उपाय का चयन करेंगे। डेंगू बुखार गंभीर बीमारी हो सकती है, और सही निदान और उपचार के लिए किसी चिकित्सक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, चाहे वो पारंपरिक हो या होम्योपैथिक हो। होम्योपैथिक उपायों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा की साथ साथ एक पूरक दृष्टिकोण के रूप में किया जाना चाहिए, उन्हें पूरी तरह से उपचार के रूप में नहीं।”

इस रोग को समय पर पहचानना और उपयुक्त इलाज कराना महत्वपूर्ण है, ताकि इसके कई जटिल परिणामों से बचा जा सके। सदैव डॉक्टर की सलाह लें और सबसे महत्वपूर्ण बात, हाइजीन और स्वच्छता का ध्यान रखें।

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